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पांच कविताएं/ डॉ. नीरज दइया
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भुलावा
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आगे प्रेम
पीछे प्रेम
इस यात्रा के बीच
जिंदगी - एक भुलावा ।
हाथ बढ़ाते हैं
जिन्हें छूने के लिए
वो हर बार
खिसक जाते हैं चुपचाप ...
1 हफ़्ते पहले




2 टिप्पणियाँ:
भाई साहब बहुत शानदार है । मेरी बधाई स्वीकारें ।
ADARNIY AALOK JI;
NAMASTAY;
EK ARSE BAAD AAPKO DEKHKAR KHUSHI HUI.
BAHUT SAAL HO GAYE MILE BINA.RAJESH JI MULAKAT KARWANIE K LIYE DHANYAWAD.
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