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समय की बारिशें
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माँ और बेटी खेल रहे थे। मौसम में सीलापन था। बारिश रह-रहकर गिर रही थी। छठे
माले की खिड़कियों से देखने पर कुछ हाथ की दूरी पर बादल तैर रहे थे। मैं आदतन
ख़या...
1 दिन पहले
2 टिप्पणियाँ:
भाई साहब बहुत शानदार है । मेरी बधाई स्वीकारें ।
ADARNIY AALOK JI;
NAMASTAY;
EK ARSE BAAD AAPKO DEKHKAR KHUSHI HUI.
BAHUT SAAL HO GAYE MILE BINA.RAJESH JI MULAKAT KARWANIE K LIYE DHANYAWAD.
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