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पांच कविताएं/ डॉ. नीरज दइया
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भुलावा
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आगे प्रेम
पीछे प्रेम
इस यात्रा के बीच
जिंदगी - एक भुलावा ।
हाथ बढ़ाते हैं
जिन्हें छूने के लिए
वो हर बार
खिसक जाते हैं चुपचाप ...
1 हफ़्ते पहले




3 टिप्पणियाँ:
CHADDHA JI ,MARHOOM KAVI SHIV BATAALVI DI BHABI NAL AAP JI DA SAKSHATKAR - GAZZAB !BADA SOHNA LAGIYA ! LAKH LAKH BADHAIYAN ! JAPHY PAWAN JI KARDA HAI AAP JI DE NAL !
स्वागत है...
Bahut achaa laga ...
aap ke blog par anaa...
Vah ji Vah...
Kia baat hai....
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