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समय की बारिशें
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माँ और बेटी खेल रहे थे। मौसम में सीलापन था। बारिश रह-रहकर गिर रही थी। छठे
माले की खिड़कियों से देखने पर कुछ हाथ की दूरी पर बादल तैर रहे थे। मैं आदतन
ख़या...
1 दिन पहले
3 टिप्पणियाँ:
CHADDHA JI ,MARHOOM KAVI SHIV BATAALVI DI BHABI NAL AAP JI DA SAKSHATKAR - GAZZAB !BADA SOHNA LAGIYA ! LAKH LAKH BADHAIYAN ! JAPHY PAWAN JI KARDA HAI AAP JI DE NAL !
स्वागत है...
Bahut achaa laga ...
aap ke blog par anaa...
Vah ji Vah...
Kia baat hai....
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