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ठीक समानांतर
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समंदर के किनारे बैठकर कवि, तुम बहुत अधिक इंतज़ार पी चुके हो। तुम हाई हो।
नींद पर
एक टहोका सा लगता है
शीतनिद्रा से जागता है दिल।
जैसे तनहाई की गरमियाँ उतरत...
2 दिन पहले
2 टिप्पणियाँ:
लाजवाब कार्यक्रम...बाउजी कमाल कर दित्ता तुसी...तिन चार वारि सुन लय है हाली होर सुनन दा मन है...
waah ji waah bahut khub...
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