उज्जैन में धाट के स्वर
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पूजा स्थलों के अनेक रिच्युयल होते हैं। अक्सर जोड़े में या आगे पीछे दर्शन
करने की मान्यता बड़ी है। आप कहीं जाएँ तो कोई कह देगा कि इसके बाद आपको वहाँ
दर्शन करन...
3 हफ़्ते पहले
1 टिप्पणियाँ:
नमस्कार राजेशजी,
21 मई नूं आपदी प्रस्तुति 'मिट्टी दी खुश्बू' ने साडा मन मोह लेया।
जिने लाजवाब कवि ने शिव, उनी ही लाजवाब सी तुहाडी प्रस्तुति।
हालांकि साडे रेडियो चे विद्युत तरंगां हावी रही अते असीं पूरा प्रोग्राम स्पष्ट नहीं सुण पाए। बिजली दा बस ऐही एक दुख सानूं बहोत तकलीफ देंदा है।
शिव दी खुद दी आवाज चे गीत 'की पुछदे हो हाल फकीरां दा' अते अंत में 'इतरां दे वगदे ने चो' सुणके दिल दी कली-कली खिल गई अते असी कॉटन सिटी चैनल दे स्टूडियो चे इतरां दे चो वगदे महसूस कित्ते।
साडी महफिल चे बैठै एक साथी ने पूछेया- ''जे शिव नीं हुंदा तां 'मिट्टी दी खुश्बू' दा की हुंदा?''
दूजे ने आखेया- ''दरअसल पंजाब दी मिट्टी चे जेड़ी खुश्बू है, ओ शिव दे गीतां दी ही है।''
अते तीजा आखदा- ''फगत पंजाब दी मिट्टी तक ही नीं हैगी, शिव दे गीत दुनिया चे जित्थे-जित्थे वी पहुंचे ने, ओत्थे-ओत्थे दी मिट्टी महकारे मारदी ने। शिव ने दुनिया दी मिट्टी चे प्यार दी खुश्बू भर दित्ती।''
एक बंदे ने आखेया- ''असल चे शिव दे गीत दुनिया चे इंसानी भावां दा प्रसार करदे ने। दुनिया नूं प्यार अते मेलजोल सिखांवदे ने।''
सानूं वी लगेया कि सारे बंदे सही आखदे ने, सो एह सारियां गल्लां आपजी वास्ते। तुसां ही तो मिलवाया सानूं शिव नाल। ऐस वासते आपजी नूं लख-लख दाद। होण असी लै आए हां शिव दी कताबां- सोग, आरती, आटे दीआं चिडिय़ां अते मैनूं विदा करो। होळी-होळी करके असी राजस्थानी बंदे पंजाबी पढण वी लग पए हां। राजस्थानी साडी मां बोली हैगी पर असी साडी मां बोली जिन्ना ही सतकार करदे हां पंजाबी दा। पंजाबी ने सानूं शिव जेहे शायर दित्ते ने।
ऐस वेले सानूं एक दोहा राजस्थानी दा चेते आऊंदा है। पिछले दिनां मोहनजी आलोक ने सुणाया सी। तुसां वी सुनो-
आज सुण्यो म्हैं हे सखि! पौ फाट्यां पिव गौण।
पौ अर हिवड़ै होड़ है, पैली फाटै कौण॥
(एक सखि दूसरी से कहती है कि हे सखि, मैंने आज सुना है कि पौ फटते ही प्रियतम प्रस्थान कर जाएंगे। इसलिए पौ और हृदय में होड़ लगी है कि पहले कौन फटे!!)
-सत्यनारायण सोनी (डॉ.)
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