मैं राजेश चढ्ढा सूरतगढ़ राजस्थान से आपका इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं । मेरे अन्य ब्लॉग भी आप देख सकते हैं- Rajesh Chaddha और Mera Radio. आपकी इनके बारे में राय अवश्य लिखें ।
नमस्कार राजेशजी, 21 मई नूं आपदी प्रस्तुति 'मिट्टी दी खुश्बू' ने साडा मन मोह लेया। जिने लाजवाब कवि ने शिव, उनी ही लाजवाब सी तुहाडी प्रस्तुति। हालांकि साडे रेडियो चे विद्युत तरंगां हावी रही अते असीं पूरा प्रोग्राम स्पष्ट नहीं सुण पाए। बिजली दा बस ऐही एक दुख सानूं बहोत तकलीफ देंदा है। शिव दी खुद दी आवाज चे गीत 'की पुछदे हो हाल फकीरां दा' अते अंत में 'इतरां दे वगदे ने चो' सुणके दिल दी कली-कली खिल गई अते असी कॉटन सिटी चैनल दे स्टूडियो चे इतरां दे चो वगदे महसूस कित्ते। साडी महफिल चे बैठै एक साथी ने पूछेया- ''जे शिव नीं हुंदा तां 'मिट्टी दी खुश्बू' दा की हुंदा?'' दूजे ने आखेया- ''दरअसल पंजाब दी मिट्टी चे जेड़ी खुश्बू है, ओ शिव दे गीतां दी ही है।'' अते तीजा आखदा- ''फगत पंजाब दी मिट्टी तक ही नीं हैगी, शिव दे गीत दुनिया चे जित्थे-जित्थे वी पहुंचे ने, ओत्थे-ओत्थे दी मिट्टी महकारे मारदी ने। शिव ने दुनिया दी मिट्टी चे प्यार दी खुश्बू भर दित्ती।'' एक बंदे ने आखेया- ''असल चे शिव दे गीत दुनिया चे इंसानी भावां दा प्रसार करदे ने। दुनिया नूं प्यार अते मेलजोल सिखांवदे ने।'' सानूं वी लगेया कि सारे बंदे सही आखदे ने, सो एह सारियां गल्लां आपजी वास्ते। तुसां ही तो मिलवाया सानूं शिव नाल। ऐस वासते आपजी नूं लख-लख दाद। होण असी लै आए हां शिव दी कताबां- सोग, आरती, आटे दीआं चिडिय़ां अते मैनूं विदा करो। होळी-होळी करके असी राजस्थानी बंदे पंजाबी पढण वी लग पए हां। राजस्थानी साडी मां बोली हैगी पर असी साडी मां बोली जिन्ना ही सतकार करदे हां पंजाबी दा। पंजाबी ने सानूं शिव जेहे शायर दित्ते ने। ऐस वेले सानूं एक दोहा राजस्थानी दा चेते आऊंदा है। पिछले दिनां मोहनजी आलोक ने सुणाया सी। तुसां वी सुनो- आज सुण्यो म्हैं हे सखि! पौ फाट्यां पिव गौण। पौ अर हिवड़ै होड़ है, पैली फाटै कौण॥ (एक सखि दूसरी से कहती है कि हे सखि, मैंने आज सुना है कि पौ फटते ही प्रियतम प्रस्थान कर जाएंगे। इसलिए पौ और हृदय में होड़ लगी है कि पहले कौन फटे!!) -सत्यनारायण सोनी (डॉ.)
मैं ग़ज़ल कहता हूँ और
गीत गुनगुनाता हूँ
दिल की करता हुआ
दिल ही में उतर जाता हूँ
प्यार बेहद है मुझे
और है गुनाह यही
प्यार करता हुआ मैं
हद से गुज़र जाता हूँ
समय की बारिशें
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माँ और बेटी खेल रहे थे। मौसम में सीलापन था। बारिश रह-रहकर गिर रही थी। छठे
माले की खिड़कियों से देखने पर कुछ हाथ की दूरी पर बादल तैर रहे थे। मैं आदतन
ख़या...
युद्ध निरंतर/ नीरज दइया
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डर बना हुआ है
फिर भी- जीवन चल रहा है...
भारत-पाकिस्तान, चीन-ताइवान
और रूस-नाटो के बीच
कभी भी कुछ भी हो सकता है
डर बना हुआ है
फिर भी- जीवन चल रहा है...
...
हाथ से लिखी किताब
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उस घर में वो अक्सर जाता था। उस घर को बाहर से देखने पर वो अनगढ़ पत्थरों से
बना साधारण घर दिखाई देता था पर उसमें एक अजाना आकर्षण था। उस घर में कुछ ऐसा
थ...
यादों के मोड़ पर तुम
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कभी-कभी तुम्हारी यादें बिना किसी चेतावनी के दिल के दरवाजे पर दस्तक देती
हैं। ऐसा लगता है जैसे समय वहीं रुक गया हो, जहाँ हमने एक-दूसरे को अलविदा कहा
था। ...
Pengertian Doers
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[image: Pengertian doers]
Pengertian doers
Dalam bahasa Indonesia doers artinya adalah seorang yang berbuat atau
sebagai pelaku. Seoarang pengusaha yang t...
युद्ध
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युद्ध / अनीता सैनी
…..
तुम्हें पता है!
साहित्य की भूमि पर
लड़े जाने वाले युद्ध
आसान नहीं होते
वैसे ही
आसान नहीं होता
यहाँ से लौटना
इस धरती पर आ...
मोहन आलोक - एक दिव्य काव्य-पुरुष/ डॉ. नीरज दइया
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मोहन आलोक को इस संसार से गए दो साल से अधिक समय हो गया है किंतु अब भी
उनके जाने का दुख मुझ में इस तरह समाया है कि उन्हें याद करते हुए मैं विचलित
हो जा...
नितीश कुमार को गुस्सा क्यों आ रहा है
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक ही समय में वांछित और अवांछित होने की
लड़ाई लड़ रहे हैं। और बीच में भागते भूत की लंगोटी लूटने के लिए भी बेताब
है, ताक...
एक जोड़ी पुराने जूते
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जब कहीं से लौटना होता है तब दुःख होता कि यहाँ से क्यों जा रहे हैं. किन्तु
कभी-कभी लौटते समय दुःख होता है कि आये क्यों थे. रंग रोगन किये जाने और नया
फर्श डा...
गीत चतुर्वेदी के नए संग्रह से कुछ कविताएँ
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इस साल पुस्तक मेले में एक बहु प्रतीक्षित कविता संग्रह भी आया. गीत चतुर्वेदी
का संग्रह 'न्यूनतम मैं'. गीत समकालीन कविता के ऐसे कवियों में हैं जिनकी हर
काव...
ताउम्र हँसी
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ढलती हुई शाम को ऊँचे आसमान पर छाए सुरमई बादलों में से कभी -कभी सूर्य भी दिखाई
पड़ जाता था। इस अलबेले से मौसम में हम चारों अपनी नौका तथा चप्पू लिये नदी क...
....and that Enigma happened to me !!!
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*Love was when…..*
When I fall in love, at the same time, all the definitions of love had no
significance for me, why? Because then I understood, that eve...
दो बूँद का सागर
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● *दो बूँद का सागर* ● (01-01-2015)
बेबसी अब हद से गुजरने लगी है
शब्द अब तुम तक पहुँच न पाते हैं,
आँखें बेशक काबिल हैं समझाने में,
उफ़ पर्दा आँखों पर चढ़ाये...
सैंसूं न्यारो घर है म्हारो / दीनदयाल शर्मा
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टाबरां री राजस्थानी कविता-
सैंसूं न्यारो घर है म्हारो / दीनदयाल शर्मा
सैंसूं चोखो सैंसूं न्यारो
घर म्हारो है सैंसूं प्यारो
ईंट-ईंट मीणत सूं जोड़ी
जणां...
नाती अभिमन्यु / चार अलग - अलग मुद्राओं में नाती...
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हम सपरिवार बेटी के ससुराल कूदन ( सीकर, राजस्थान.) गए . वहां सबसे मिले..
डेढ़ वर्षीय नाती अभिमन्यु की चंचलता ने मन मोह लिया..
चार अलग - अलग मुद्राओं में नात...
सपत्नीक सम्मानित.....
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विप्र फाउण्डेशन, हनुमानगढ़ की ओर से साहित्य की उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए
समस्त ब्राह्मण समाज के भव्य समारोह में सपत्नीक सम्मानित करते हुए.....
आओ थोड़ा हँस लें.. 12
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आओ थोड़ा हँस लें.. 12
संता-बीवी से लड़ाई खत्म हो गई ?
बंता: अरे घुटने टेक कर आई थी मेरे पास।
संता-अच्छा!क्या बोली घुटने टेक कर ?
बंता: बोली कि बेड के नीचे ...
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी : दीनदयाल शर्मा
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* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी : **दीनदयाल शर्मा*
महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, प्रेमचन्द या टालस्टाय के बारे में 'कुछ'
लिखना बड़ा आसान...
‘‘या बणजारी जूण’’ का लोकार्पण
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सहज और गंभीर सृजनकर्म कालजयी कृतियों को जन्म देता है
- राकेश शर्मा
कोटा/18 नवम्बर 2013/ सहज और गंभीर सृजनकर्म कालजयी कृतियों को जन्म देता है
यह वक्तव्य रा...
खुद मुख्तार औरत व अन्य कविताएँ- देवयानी भारद्वाज
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रोज गढती हूं एक ख्वाब
सहेजती हूं उसे
श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच
आपके दिए अपमान के नश्तर
अपने सीने में झेलती हूं
सह जाती हूं तिल-तिल
हंसती हूं खि...
शब्द
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शब्द
बहाने ढूंढता है
गढ़ता है
और मढ़ देता है
परत दर परत
भाषा का लेप
एक अतिरेक
और अतिरिक्त
अनावश्यकता को
जन्मता है
शब्द
संवेदना का...
जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
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जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग
पूछा बच्चों ने नानी से - हमको ये बतलाओ ना
क्या सचमुच होती थी परि...
गुस्सा - वुस्सा
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कितनी बार समझाया है तुमको २ बजे के बाद तुम्हारी खबर नहीं मिलती तो बेचैन हो
उठती हूँ मै...सुबह से जाने कितने क़िस्से थे जों तुम्हे सुनाने थे, किचेन में
कु...
तुम हम दोनों से प्यार करो ना
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तुम मुझे चाँद ना दिखाया करो
मै इमोशनल हो जाती हूँ
औ घर पर तो बिल्कुल नहीं
एक बार
जब तुम नहीं थे साथ
रात मेरी इससे नज़र मिल गई
मै भी इसके साथ तारो में खो ...
भंवरी तेरे जाल में
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भंवरी का सामान्य अर्थ होता है घूमने वाली, फिरकी, भूणी, चकरी या बडे़ घर की
लाडेसर। वैसे तो पूरा देश ही इन दिनों चकरी बना घूम रहा है। बेईमानी की हवा
में घोट...
‘मानुष सत्य’ का हिमायत करती कहानियां
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*किताब*
*‘मानुष सत्य’ का हिमायत करती कहानियां*
*ना*मी कथाकार *महीप सिंह* की साम्प्रदायिक तनाव पर केन्द्रित कहानियों का
संग्रह* ‘आठ कहानियां’* इस संवेद...
! साफ कहना: सहज रहना !
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सहज कविता का प्रतीक कविःश्री सोहनलाल रांका ‘सहज’ .
........ काव्य का केन्द्रीय स्वर !
.........*ओंकार श्री, उदयपुर* !
सोढावाटी’ के...
नागरिकता
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मित्र आपने अच्छा सवाल उठाया है। यह बुनियादी हकों से जुड़ा मामला है। खुली
अर्थवयवस्था में और भी बहुत कुछ खुलकर सामने आ गया है। बड़ी कम्पनियों से बड़ा
लाभ पा...
प्रस्तुति - रामधन "अनुज"
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*लोग उम्मीद करते हैं*
लोग उम्मीद करते हैं
कि अब की बार
सूखा नहीं पड़ेगा
गाँव के पास वाला बांध
पक्का बन जायेगा
जिससे बाढ़ रुक जाएगी;
फसलें अच्छी खड़...
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गोपाल झा। पत्रकारिता में एक सुनहरा नाम। एक अलग पहचान तो अलग ही लेखनी। मजदूर
नेता से पत्रकारिता तक का सफ़र और वर्तमान में दैनिक भास्कर के हनुमानगढ़ जिला
ब्य...
सरिता के स्वरों के बीच डूबकी
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'वीणा' कैसेट का राजस्थानी लोक संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम है। गत
वर्षों में श्री के.सी.मालू के निर्देशन में वीणा ने अनेक कैसेट बाज़ार में
उतारे और...
ब्लॉगर पर नई सुविधा- लेबल क्लाउड (label cloud)
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ब्लॉगर सेवा के दस साल पूरे होने के साथ ही चिट्ठाकारों को नई सौगातें मिलने
का सिलसिला शुरू हो गया है। ब्लॉगर संचालित चिट्ठों पर लेबल क्लाउड की
बहुप्रतीक्षित...
1 टिप्पणियाँ:
नमस्कार राजेशजी,
21 मई नूं आपदी प्रस्तुति 'मिट्टी दी खुश्बू' ने साडा मन मोह लेया।
जिने लाजवाब कवि ने शिव, उनी ही लाजवाब सी तुहाडी प्रस्तुति।
हालांकि साडे रेडियो चे विद्युत तरंगां हावी रही अते असीं पूरा प्रोग्राम स्पष्ट नहीं सुण पाए। बिजली दा बस ऐही एक दुख सानूं बहोत तकलीफ देंदा है।
शिव दी खुद दी आवाज चे गीत 'की पुछदे हो हाल फकीरां दा' अते अंत में 'इतरां दे वगदे ने चो' सुणके दिल दी कली-कली खिल गई अते असी कॉटन सिटी चैनल दे स्टूडियो चे इतरां दे चो वगदे महसूस कित्ते।
साडी महफिल चे बैठै एक साथी ने पूछेया- ''जे शिव नीं हुंदा तां 'मिट्टी दी खुश्बू' दा की हुंदा?''
दूजे ने आखेया- ''दरअसल पंजाब दी मिट्टी चे जेड़ी खुश्बू है, ओ शिव दे गीतां दी ही है।''
अते तीजा आखदा- ''फगत पंजाब दी मिट्टी तक ही नीं हैगी, शिव दे गीत दुनिया चे जित्थे-जित्थे वी पहुंचे ने, ओत्थे-ओत्थे दी मिट्टी महकारे मारदी ने। शिव ने दुनिया दी मिट्टी चे प्यार दी खुश्बू भर दित्ती।''
एक बंदे ने आखेया- ''असल चे शिव दे गीत दुनिया चे इंसानी भावां दा प्रसार करदे ने। दुनिया नूं प्यार अते मेलजोल सिखांवदे ने।''
सानूं वी लगेया कि सारे बंदे सही आखदे ने, सो एह सारियां गल्लां आपजी वास्ते। तुसां ही तो मिलवाया सानूं शिव नाल। ऐस वासते आपजी नूं लख-लख दाद। होण असी लै आए हां शिव दी कताबां- सोग, आरती, आटे दीआं चिडिय़ां अते मैनूं विदा करो। होळी-होळी करके असी राजस्थानी बंदे पंजाबी पढण वी लग पए हां। राजस्थानी साडी मां बोली हैगी पर असी साडी मां बोली जिन्ना ही सतकार करदे हां पंजाबी दा। पंजाबी ने सानूं शिव जेहे शायर दित्ते ने।
ऐस वेले सानूं एक दोहा राजस्थानी दा चेते आऊंदा है। पिछले दिनां मोहनजी आलोक ने सुणाया सी। तुसां वी सुनो-
आज सुण्यो म्हैं हे सखि! पौ फाट्यां पिव गौण।
पौ अर हिवड़ै होड़ है, पैली फाटै कौण॥
(एक सखि दूसरी से कहती है कि हे सखि, मैंने आज सुना है कि पौ फटते ही प्रियतम प्रस्थान कर जाएंगे। इसलिए पौ और हृदय में होड़ लगी है कि पहले कौन फटे!!)
-सत्यनारायण सोनी (डॉ.)
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