पांच कविताएं/ डॉ. नीरज दइया
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भुलावा
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आगे प्रेम
पीछे प्रेम
इस यात्रा के बीच
जिंदगी - एक भुलावा ।
हाथ बढ़ाते हैं
जिन्हें छूने के लिए
वो हर बार
खिसक जाते हैं चुपचाप ...
1 हफ़्ते पहले



3 टिप्पणियाँ:
SHIV BATALVI NU SUN KE ROOH KHUSH HO GAI ! LAKH LAKH BADHAIYAN !
rajesh ji dr.kumar vishvash 1994-95 me igmpgcollege pilibangan me hindi ke lec. the mai unka bara fan hu ok
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